unfoldingWord 08 - खुदा यूसुफ़ और उसके खानदान को बचाता है

unfoldingWord 08 - खुदा यूसुफ़ और उसके खानदान को बचाता है

Garis besar: Genesis 37-50

Nombor Skrip: 1208

Bahasa: Urdu Devanagari

Penonton: General

Genre: Bible Stories & Teac

Tujuan: Evangelism; Teaching

Petikan Alkitab: Paraphrase

Status: Approved

Skrip ialah garis panduan asas untuk terjemahan dan rakaman ke dalam bahasa lain. Mereka harus disesuaikan mengikut keperluan untuk menjadikannya mudah difahami dan relevan untuk setiap budaya dan bahasa yang berbeza. Sesetengah istilah dan konsep yang digunakan mungkin memerlukan penjelasan lanjut atau bahkan diganti atau ditinggalkan sepenuhnya.

Teks Skrip

कई सालों बाद जब याक़ूब बूढ़ा हो चुका तो उसने अपने चाहेते बेटे यूसुफ़ को यह कहला कर भेजा कि अपने भाइयों को देखकर आना की वह गल्ला चरा रहे थे कि नहीं – कि वह ठीक से गल्ले की रखवाली कर रहे हैं कि नहीं -

यूसुफ़ के भाई युसूफ से नफ़रत करते थे क्यूंकि उनका बाप याक़ूब बहुत ज़ियादा युसुफ़ से महब्बत रखता था –इसलिए भी कि युसूफ ने ख़ाब देखा था कि वह उनका हाकिम बननें वाला था जब यूसुफ़ अपने भाइयों के पास आया तो उनहोंने उसको अग़वा कर लिया और उसको सौदागरों के हाथ ग़ुलाम बतौर बेच डाला -

यूसुफ़ के भाई शाम को घर पहुँचने से पहले युसूफ के बु क़ल्मून क़बा को बकरे के खून में डुबोया और जाकर अपने बाप से कहने लगे कि यूसुफ़ को किसी जानवर ने हलाक कर दिया और सबूत बतौर उसके पहने हुए खून से सने कपड़े दिखाए – इसे सुनकर याक़ूब खस्ताहाल हो गया और दिल में बहुत ज़ियादा रंज किया -

गुलामों के सौदागर यूसुफ़ को मिस्र ले गए – मिस्र उस ज़माने का बहुत बड़ा और ज़बरदस्त मुल्क था जो दर्याए नील के किनारे पर वाक़े था – सौदागरों ने यूसुफ़ को एक दौलतमंद सरकारी अफ़सर के हाथों बेच दिया – यूसुफ़ ने अपने मालिक की बहुत ईमानदारी से ख़िदमत की और खुदा ने यूदुफ़ को बरकत दी -

उसके मालिक की बीवी यूसुफ़ को अपने साथ अपने बिस्तर में सुलाना चाहती थी – मगर यूसुफ़ ने इनकार किया कि ऐसा करके वह ख़ुदा के ख़िलाफ़ गुनाह नहीं करेगा –अंजाम बतौर वो यूसुफ़ से ग़ुस्सा हुई और यूसुफ़ पर झूठा इल्ज़ाम लगाकर गिरफ़्तार कराया और क़ैद ख़ाने में डलवा दिया – मगर यूसुफ़ खुदा की नज़र में वफ़ादार रहा और खुदा ने उसको क़ैद ख़ाने में भी बरकत दी -

दो साल बाद यूसुफ़ अभी भी क़ैद में ही था – हालांकि वह बे क़ुसूर था – एक दिन “फ़िरोन” जिसे मिसरी लोग अपना बादशाह मानते थे उसने दो ख़ाब देखे जिसे देखकर बाद्शाह अपने आप में बहुत ही परेशान था –बादशाह के सलाहकारों में से कोई भी इस क़ाबिल नहीं था कि वह उसके दो खाबों की ताबीर बयान कर सके -

खुदा ने यूसुफ़ को किसी के भी ख़ाब की ताबीर बयान करने की क़ाबिलियत अता कर रखी थी – जब यह बात फ़िरोन को मालूम पड़ी तो उसने यूसुफ़ को क़ैद ख़ाने से बुलवा भेजा – यूसुफ़ ने फ़िरोन के ख़ाबों की ताबीर सही मायनों में कह सुनाया और कहा “कि आने वाले सात सालों में खुदा कसरत की फ़सल भेजने वाला है मगर उसके आगे दुसरे सात बरसों में बहुत ही होलनाक क़हत भी –“

फ़िरोन यूसुफ़ से बहुत ज़ियादा मुतास्सिर हुआ और उसको तमाम मुल्क –ए- मिस्र का वज़ीर –ए- आज़म मुक़र्रर किया -

यूसुफ़ ने सरकारी ज़खीरा करने वालों से कहा कि हाल के सात बरसों में जो कसरत से फ़सल होने वाली है जितना ज़ियादा हो सके उतना अनाज का ज़खीरा कर लें – फिर दुसरे सात बरसों में जो क़हत साली के अय्याम थे उनमें यूसुफ़ ने गरीबों को रिआयती दामों पर अनाज बेचा ताकि लोग बगैर किसी दिक्क़त के अनाज खरीद सकें -

यह क़हत के साल न सिर्फ़ मिस्र में निहायत सख्त थे बल्कि कनान में भी जहाँ याक़ूब का ख़ानदान रहता था -

सो याक़ूब ने भी अपने बड़े बेटों को अनाज खरीदने के लिए मिस्र भेजा – उसके भाइयों ने यूसुफ़ को नहीं पहचाना जब वह अनाज खरीदते वक़्त उनके सामने खड़ा था ,मगर यूसुफ़ ने उन्हें पहचान लिया था -

यूसुफ़ उन्हें जांचने के बाद कि वह बदल चुके हैं या नहीं यूसुफ़ ने अपना तआरुफ़ अपने भाइयों के सामने कराया – उसने उनसे कहा “मैं तुम्हारा भाई यूसुफ़ हूँ ! डरो मत, तुमने तो मेरे साथ बुराई की और मुझे गुलाम बनाकर बेच दिया था – मगर खुदा ने उसी बुराई को भलाई में बदल दिया - अब तुम अपने बाप को लेकर मिस्र आ जाओ ताकि मैं हमेशा के लिए पुरे खानदान के वास्त्ते ख़ुराक मुहैय्या करता रहूँगा “-

जब यूसुफ़ के भाई घर लौटे तो उनहोंने अपने बाप से कहा कि यूसुफ़ अभी तक जिंदा है – यूसुफ़ यह सुनकर फूला न समाया -

हालांकि याक़ूब बूढ़ा हो चुका था - इसके बावजूद भी वह अपने पूरे खानदान के साथ मिस्र को रवाना हुआ और वह सब के सब मिस्र में सुकूनत करने लगे –याक़ूब ने अपने मरने से पहले तमाम बेटों को बरकत दी -

वह मुआहादे के वादेजो जो खुदा ने अब्रहाम को दिए थे वह इज़हाक़ में फिर याक़ूब में और फिर याक़ूब से उसके बारह बेटों और उनके खानदानों में पहुंचा – उन बारह बेटों की नस्लें बनी इस्राएल के बारह क़बीलों में तक़सीम हुए -

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